***मन निर्मल कर दे***
हे ईश्वर दे वर दे,चोला मानव का दिया।
उपकार एक ओर कर दे।
चलूं मानवता के पथ,
मन निर्मल कर दे।।
देख दुनिया की रंगीनियां,
कभी न बहकुं।
ज्यों बगिया में सुमन महके,
मै भी महकुं।।
आऊं काम सभी के,भाव यही भर दे।।
मन निर्मल कर दे।।
दीन मिले, हीन मिले,
सपने सभी के लिए पले।।
मै भी चलूं,
संग संग वे भी चलते रहे।।
कर्म गति मेरी,
हे दाता यही कर दे।।
मन निर्मल कर दे।।
राजेश व्यास अनुनय