**मन — गति**
रे।मन ,
इतना भी मत भटक ।
सुपंथ पर,
ले चल बे खटक।
दे वहां दस्तक।
जहां ,
सभ्यता समरसता
का,
उन्नत मस्तक ।
मुझे ,
अभिव्यक्ति का दे ,
ऐसा सबक ।
सुन जिसे ,
सबके मन में जागे ललक ।
और
इस मानवीय संसार में फैले,
शांति भाईचारे की ,
झलक।।
राजेश व्यास अनुनय