# मन को मन्दिर बनाए#
अपने मन के मन्दिर में,
जब तप की अग्नि जलाएंगे।
राग,द्वैष और ईष्र्या,बैर को,
तब स्वाहा कर पाएंगे।
जब अच्छा – अच्छा सोचेंगे ,
तब सब अच्छा हो पएगा।
जब अपना मन सुन्दर होगा,
तब जग सुन्दर बन पाएगा।
किसी और में कमी बताना,
बड़ा ही अच्छा लगता हैं।
वैसे खुद में कमी ढूंढना
रूबी मुश्किल होता है।
प्रेम ही प्रेम जहां में बांटें,
नफ़रत का कोई नाम न हो।
हर दिल में बस प्यार भरा हो,
हर मन गंगा सा पावन हो।
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ