“मन की बात”
“मन की बात”
सबकी अपनी-अपनी मजबूरी,
कभी मन की बात न होती पूरी।
चींटी सोचती काश हाथी होती,
जंगल-जंगल घूमकर मजा लेती।
“मन की बात”
सबकी अपनी-अपनी मजबूरी,
कभी मन की बात न होती पूरी।
चींटी सोचती काश हाथी होती,
जंगल-जंगल घूमकर मजा लेती।