मन की चोट
लगी चोट है मन पर मेरे
कैसे दिखलाऊं घाव ये गहरे
दर्द बांट ले ऐसा साथी
साथ नही है कोई मेरे
कलम थाम लूं, लिखूं मैं खुद पर
या फिल्म बनाऊं निज जीवन पर
मन की खामोशी कोई हर ले मेरी
ला दे मुस्कान इस मौन अधर पर
लगी चोट है मन पर मेरे
कैसे दिखलाऊं घाव ये गहरे
दर्द बांट ले ऐसा साथी
साथ नही है कोई मेरे
कलम थाम लूं, लिखूं मैं खुद पर
या फिल्म बनाऊं निज जीवन पर
मन की खामोशी कोई हर ले मेरी
ला दे मुस्कान इस मौन अधर पर