मन का आँगन
याद हरपल आती है
माँ हमारा वो आँगन
साथ तुम्हारे जो बीते
सुकून भरा बचपन
ना चिंता किसी चीज की
ना ही कोई होता गम
गोद में तुम्हारी मीठी लोरी
बनती मन की मन से डोरी
बड़े हुए बचपन बीता
आयी जिंदगी में बहुत मोड़
जब जिम्मेदारियों ने ली
जीवन के सपने को तोड़
तब याद हरपल आती है
माँ हमारा वो आँगन
साथ तुम्हारे जो बीता
सुकून भरा बचपन
अब सूना -सूना है
मन का आँगन
कहीं ना भाए ये बावरा मन
जहाँ खोये सपने
और कुछ रूठें अपने
अब वो आँगन कहाँ
सुकून हो मन की जहाँ
ममता रानी
रामगढ़