मनोरंजन
मनोरंजन
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मनोरंजन जीवन का अभिन्न अंग है
बिना मनोरंजन के बिना जीवन बदरंग है,
मनोरंजन तन और मन की थकान मिटाता है
नव उर्जा का संचार करता है,
मन जब हताश निराश होता है
अकेलापन और जीवन की दुश्वारियां
जब कचोटने लगती हैं,
तब मनोरंजन हमारे लिए दवा बन जाती है,
जब कोई नहीं साथ होता है
तब सुविधा जनक मनोरंजन ही
सबसे करीब होता है,
अकेले में भी मुस्कराने का अवसर देता है।
मनोरंजन के बिना जीवन
बिल्कुल मुरझाए फूल सा लगता है,
आज के युग में तो मोबाइल
मनोरंजन का बाप लगता है
हमारा हमराज बनता है।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित