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30 Nov 2021 · 1 min read

मनोभाव

मन एक्केटा
बलवान आ चंचल,
क्षण-क्षण बदलए रंग
पार असंभव,
यद्यपि बुद्धि सूक्ष्म, आ
मन स उपर,
कहैछ ज्ञानी
बुद्धि बले
मन पर बश…

तथापि की बदलि सकै छी?
“उत्तर” थिक नहि!
हां, एकटा छै उपाय,
मन’क दिशा के मोड़ि,
सही बाट के खोजि,
मन के दियौ बझाय,

स्वाध्याय करी,
नित ध्यान धरी,
मन एकाग्र करी,
चलु अभ्यास करी,
मन नहि भटकत,
विश्वास करी…

विचार करी,
जौ हो त्रुटि एहि में
सुधार करी… ✍️

Language: Maithili
2 Likes · 2 Comments · 445 Views
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