!! मैं उसको ढूंढ रहा हूँ !!
"अहङ्कारी स एव भवति यः सङ्घर्षं विना हि सर्वं लभते।
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सुबह-सुबह वोट मॉंगने वाले (हास्य-व्यंग्य)
I want my beauty to be my identity
फूल भी हम सबको जीवन देते हैं।
गले लगाना है तो उस गरीब को गले लगाओ साहिब
कभी कभी खामोशी भी बहुत सवालों का जवाब होती हे !
दोहे नौकरशाही
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💐प्रेम कौतुक-172💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिंदगी मुस्कुराती थी कभी, दरख़्तों की निगेहबानी में, और थाम लेता था वो हाथ मेरा, हर एक परेशानी में।