मनुष्य
अपने धन बल से
बुद्धि और छल बल से
योग्यता और कागज़ी डिग्रियां
पाकर बन गए
बड़े-बड़े नेता अभिनेता
डॉक्टर वकील अभियंता
और भी कई अधिकारी
पर मनुष्य कितने बने समाज में
इन लोगों की जमात में
प्रश्न अनुत्तरित भटक रहा है
जबकि मनुष्य बनने के लिए
किसी उपाधि या बल की जरूरत नहीं बल्कि चिंतन दृष्टि ,
श्रेष्ठ संस्कार की
रावणत्व के प्रतिकार की
प्रेम दया सदाचार की
अनोखी भाव संपदा चाहिए
मन मस्तिष्क में
जिसको जुटाने में
वर्षो बीत जाते हैं
तब जाकर कहीं मनुष्य बन पाते हैं
@ओम प्रकाश मीना