मनुष्य की फितरत!!
मनुष्य की फितरत
“प्राथना” करते समय समझता है कि “भगवान” सुन रहा है। “निंदा” करते हुए ये “भूल” जाता है|….
“पुण्य” करते समय समझता है कि “भगवान” देख रहा है “पाप” करते समय ये “भूल” जाता है|…….
“दान” करते समय समझता है “भगवान” सबमें बसता है “चोरी” करते हुए ये “भूल” जाता है|…….
“प्रेम” करते हुए समझता है ‘पूरी दुनिया’ “भगवान” ने बनाई है “नफरत” करते हुए ये “भूल” जाता है|…..
और फिर भी मनुष्य अपने आप को बुद्धिमान समझता है|
(वह रे इंसान)