मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्य
मनुष्य अंत काल में जिस जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर त्यागता है ,उस उसको ही प्राप्त होता है; परन्तु सदा उस ही भाव को चिंतन करता हुआ, क्योंकि सदा जिस भाव से चिंतन करता है,अंत काल में भी प्रायः उसी का स्मरण होता है।
इसलिए हे मनुष्य हर समय सब समय में निरंतर ईश्वर का स्मरण करता रह ; और कर्म युद्ध भी कर ,इस प्रकार ईश्वर को अर्पण किए हुए मन बुद्धि चित्त से युक्त हुआ,निःसंदेह ईश्वर को ही प्राप्त होगा।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधे
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श्रीमद भागवत कथित 🙏