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20 Sep 2020 · 1 min read

मनहरण घनाक्षरी

?[19/09/2020 ]?
?मनहरण घनाक्षरी, ?
?प्रथम प्रयास?
?8,8,8,7 अंत लघु गुरु से?
(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)(◕ᴥ◕)
प्रथम नमन करूँ, सौदामिनी शारदे को,
देना मुझे ज्ञान माँ मैं, बालक अज्ञान हूँ ।

दास तेरा है विकल, श्रम मेरा हो सफल,
मुझे दे आशीष माँ मैं, बड़ा परेशान हूँ ।।

हर लो माँ मेरा त्रास, बुद्धि का करो विकास,
भर दे प्रकाश अभी, थोड़ा मैं नादान हूँ ।

कविता व छन्द लिखूं, रसों का आनन्द लिखूं,
रात दिन पढ़के माँ, करता अभ्यास हूँ ।।

हे जग जननी मात, दे दे मुझे थोड़ा साथ
ह्रदय में काव्य का नि,खार कर दीजिये ।

दुखों से तू पार कर, दोष सब संहार कर,
लक्ष्य को तू मेरे सं,धान कर दीजिये।।

आपकी कृपा से ही, तुलसीदास विज्ञ हुये,
वैसे ही बना के मेरा, नाम कर दीजिये ।

आसन ग्रहण कर, कृपा दृष्टि डाल कर
मंच का माता जी उत् ,थान कर दीजिये ।।
(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)(◕ᴗ◕✿)
स्वरचित:-
अभिनव मिश्र✍️✍️
( शाहजहांपुर )
✷‿✷)(✷‿✷)(✷‿✷)(✷‿✷)✷‿✷

Language: Hindi
480 Views
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