******* मनसीरत दोहावली-1 *********
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******* मनसीरत दोहावली-1 *********
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चिंता छोड़ो और की,खुद पर दो तुम ध्यान।
समय बहुत बलवान है,खो दोगे पहचान।।
काम,क्रोध के योग से,बुद्धि की शुद्धि भ्र्स्ट।
लोभ,मोह के भोग से,जीवन की पूँजी नष्ट।।
मानवब मन बोझिल भरा,तरह-तरह के बोझ।
माया – ठगनी ढ़ग रही,हर पल हर दम रोज।।
भांति – भांति के खेल से,जीवन बनता रेल।
काम कोई बबने नहीं,पल -पल धक्कम पेल।।
मनसीरत कह-कह थका, मन को मारे रोग।
कष्ट,कलह भी दूर हों,दूर हों,कुंदन-काया भोग।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)