*मनः संवाद—-*
मनः संवाद—-
22/11/2024
मन दण्डक — नव प्रस्तारित मात्रिक (38 मात्रा)
यति– (14,13,11) पदांत– Sl
जिस घर रोगी पड़ा रहे, परेशान सब लोग हों, खर्चे से सब तंग।
सबके मन हैं थके- थके, सारा घर रोगी लगे, बंद पड़ी है चंग।।
कोई त्योहार तीज भी, देता है खुशियाँ नहीं, लगते सब बेढंग।
कहीं मनोनुकूल बातें, होना भी दुर्लभ लगे, बैठे रहो पलंग।।
घर में मरणासन्न अगर, कोई सदस्य है पड़ा, रहे प्रभावित लोग।
देखें जब भी मृत्यु निकट, जो जीवन का सत्य है, जागे मन में जोग।।
होता है वैराग्य उदय, कल मुझ पर भी हो अगर, कैसे रहूँ निरोग।
एक दिवस ये होगा ही, अब तन जर्जर हो रहा, कर ले हरि से योग।।
— डॉ. रामनाथ साहू “ननकी”
संस्थापक, छंदाचार्य, (बिलासा छंद महालय, छत्तीसगढ़)
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