मधुमास
लहर लहर वृक्षों पर छाया ऋतुराज है।
झूम रही डाली सर्वत्र बिखरा उल्लास है।।
मां शारदे!ज्ञान दाता धवल वस्त्र धारणी,
मातु नमन! वरद हस्त पुलक अहसास है।
फूल रहे आम्र बौर झूमे चंपा कचनार भी,
रश्मियां इतराए ऑंगन फैला उजास है।
धानी चूनर ओढ़ सर-सर खेत में लहराए,
मस्त मलंग पवन बहे,प्रिय का प्रवास है।
नव पल्लव पुष्प खिले तितलिका मंडराए,
चटक रही कलियां खुशियों का आभास है।
अलि!वसुधा ने पहना है पीत परिधान भी,
गजानन, हरि हर का पीतांबरी लिबास है।
“मयूर नृत्य वन कोकिला गीत बागानों में”
प्रीति की मुनहार सुन, पुलकित प्रकाश है।
झूम- झूम महके गुलाब,गेंदा गुलदाउदी,
हुलस हृदय नाचे,मयूर मृदंग प्रिय वास है।
मन में उमंग नव तरंग की सुवासित बहारें,
आस और विश्वास लिए आया मधुमास है।
नमिता गुप्ता
लखनऊ