Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Nov 2023 · 3 min read

पति का करवा चौथ

पति का करवा चौथ

पिछले कुछ वर्षों से लीना का मानसिक संतुलन खराब चल रहा था। जिसकी वजह से उसका परिवार अस्त व्यस्त हो गया, उसका पति लाखन उसके इलाज के चक्कर में चक्करघिन्नी बन गया था, उसका व्यवसाय चौपट होता जा रहा था, क्योंकि वो दुकान पर समय ही नहीं दे पा रहा था। बच्चों की शिक्षा भी राम भरोसे ही चल रही थी ।इन सबके बावजूद लाखन को भरोसा था कि एक दिन लीना फिर से अपना सामान्य जीवन जी सकेगी और फिर सब ठीक हो जाएगा। पर कब ……। इसका उसके पास कोई जवाब नहीं था।
हर साल की तरह ही इस बार भी करवा चौथ आ गया। लीना जब तक स्वस्थ थी, बड़े मनोयोग से व्रत रखती थी, पूजा पाठ करती थी। लेकिन अब तो उसे जब अपना होश नहीं तो तीज त्योहार की बात भला कैसे सोच सकती है।‌
इस बार करवा चौथ से थोड़े दिन पूर्व उसकी सरहज ने फोन कर लाखन से आग्रह किया कि जीजा जी, क्यों न इस बार आप दीदी की जगह ये व्रत रख लें।शायद कुछ हो सके और नहीं भी हो तो आखिर पतियों का भी तो कोई धर्म होता है, हम पत्नियां हमेशा पतियों के लिए तो व्रत, अनुष्ठान करती ही हैं, फिर हम यदि इस हालत में न हो तो क्या आप लोगों का फ़र्ज़ नहीं है कि कभी पत्नियों के लिए ,उनके स्वास्थ्य, लंबी उम्र के लिए और खुशी के लिए कुछ करें, आखिर आप लोगों को भी तो यह पता चलना चाहिए कि दिन दिन भर कभी तो २४-२६ -३० घंटे बिना अन्न जल के भी हम दिन भर खटते हैं।एक दिन भी हमें फुर्सत नहीं मिलती। इसका अहसास आप मर्दों को कभी नहीं होता, मौके बेमौके आप लोग भी तो इसका अनुभव कीजिए।
लाखन ने बिना किसी तर्क वितर्क के हामी भर दी और अपनी सरहज से पूछ पूछ कर वह व्रत की औपचारिकताएं निभाता रहा।
आखिर चंद्र देव के दर्शन हुए। बेटियों की मदद से वो लीना को छत पर ले गया।और जैसे जैसे उसकी सरहज ने उसे बताया लीना को पास में लकड़ी की एक कुर्सी पर बैठाये, वो करता रहा।
फिर छलनी में जब वो लीना को निहार रहा था, तब अचानक लीना ने धीरे से हाथ बढ़ाकर छलनी उसके हाथ से लिया और बोल पड़ी में क्या कर रहे हो तुम। ये मेरा काम है।
फिर अपने कपड़े की ओर देख कर चौंक पड़ी अरे ये कैसे कपड़े पहन कर मैं पूजा करने आ गई। फिर कुछ सोचते हुए बोली मगर मैं यहां आई कैसे?
तब लाखन ने बताया कि तुम्हें हम लेकर आए हैं और आज तुम्हारे लिए हमने व्रत भी रखा है।
लीना भड़क गई तो जनाब बड़े समझदार बन गये हैं।न खुद ढंग के कपड़े पहने हैं और न मुझे पहनने दिया, इतनी जल्दी पड़ी थी। चलो खैर करवा माता तुम्हारी मनोकामना पूरी करें। फिर हमेशा जो कुछ खुद करती थी, वो सब धीरे धीरे किया और बेटियों से कहा चलो तुम लोग मुझे थोड़ा सहारा दो, तो मैं भी परिक्रमा कर लूं, फिर तुम्हारे पापा का व्रत भी तुड़वाना है।
चंद्रमा को हाथ जोड़ शीश झुकाकर लाखन ने नमन किया और लीना को अपनी बांहों में समेट लिया।उसकी आंखों से अश्रु धारा बह निकली। दोनों बेटियां भी मां से लिपट गई।
लाखन को विश्वास हो गया कि उसका करवा चौथ का व्रत सफल हो गया। अब उसकी जीवन साथी फिर से जरुर सामान्य जीवन जी पायेगी।
उसके बाद वो सबसे पहले अपनी सरहज को ये खुशखबरी देने के लिए अपना मोबाइल निकाल कर फोन करने लगा।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 111 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वो गली भी सूनी हों गयीं
वो गली भी सूनी हों गयीं
The_dk_poetry
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
*मकान (बाल कविता)*
*मकान (बाल कविता)*
Ravi Prakash
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
👰🏾‍♀कजरेली👰🏾‍♀
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
दुकान वाली बुढ़िया
दुकान वाली बुढ़िया
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
अखंड भारत
अखंड भारत
कार्तिक नितिन शर्मा
चिंगारी के गर्भ में,
चिंगारी के गर्भ में,
sushil sarna
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
रफ़्ता -रफ़्ता पलटिए पन्ने तार्रुफ़ के,
ओसमणी साहू 'ओश'
स्मृति प्रेम की
स्मृति प्रेम की
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
बदली-बदली सी तश्वीरें...
बदली-बदली सी तश्वीरें...
Dr Rajendra Singh kavi
नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन
नैतिक मूल्यों को बचाए अब कौन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ाकर चले गए...
Sunil Suman
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
अरशद रसूल बदायूंनी
गज़ल सी रचना
गज़ल सी रचना
Kanchan Khanna
■ आज का विचार
■ आज का विचार
*Author प्रणय प्रभात*
जंग अहम की
जंग अहम की
Mamta Singh Devaa
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
आँशु उसी के सामने बहाना जो आँशु का दर्द समझ सके
Rituraj shivem verma
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
पितरों के सदसंकल्पों की पूर्ति ही श्राद्ध
कवि रमेशराज
जीवन का एक चरण
जीवन का एक चरण
पूर्वार्थ
गुरु नानक देव जी --
गुरु नानक देव जी --
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मुक्तक -
मुक्तक -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जल संरक्षण बहुमूल्य
जल संरक्षण बहुमूल्य
Buddha Prakash
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
स्वजातीय विवाह पर बंधाई
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
वक्त  क्या  बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
वक्त क्या बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
ये आज़ादी होती है क्या
ये आज़ादी होती है क्या
Paras Nath Jha
रिसाय के उमर ह , मनाए के जनम तक होना चाहि ।
रिसाय के उमर ह , मनाए के जनम तक होना चाहि ।
Lakhan Yadav
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
सर्वप्रथम पिया से रँग लगवाउंगी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
कोशिश है खुद से बेहतर बनने की
Ansh Srivastava
💐💐नेक्स्ट जेनरेशन💐💐
💐💐नेक्स्ट जेनरेशन💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...