* मत मार गर्भ में मुझको माता *
मत मार गर्भ में मुझको माता ,
कर थोड़ा तो रहम मेरी दाता !
तुम ही मुझको मारोगी अगर ,
कौन बनेगा फिर मेरा विधाता ?
क्या मैं तुम्हारा अंश नहीं माता ?
क्यूँ मेरा आना तुमको नहीं भाता ?
बतलाओ मुझको कौन बचाएगा ?
जब दुश्मन बन जाए खुद माता ।।
बेटी बिन कोई घर न बस पाता ,
बेटी बिन कोई वंश न बढ़ पाता ।
बेटी नहीं बेटों से कम मेरी माता ,
है कौन जगह जहाँ बेटी नहीं माता ?
क्यों है बेटी से नफरत का नाता ?
तुम भी तो किसी की बेटी हो माता ।
हर सुख दुःख में साथ निभाऊंगी ,
आने दो मुझे इस दुनिया में माता ।।
बेटे से बढ़कर नाम कमाऊंगी ,
बेटे की कमी पूरी कर दिखलाऊंगी ।
बेटी कोमल है कमजोर नहीं माता ,
तेरी लिए सारी दुनिया से लड़ जाऊंगी ।।
मत मार गर्भ में मुझको माता ,
कर थोड़ा तो रहम मेरी दाता !
तुम ही मुझको मारोगी अगर ,
कौन बनेगा फिर मेरा विधाता ?