“मत मारो”
उन निरीह प्राणियों में भी
परमात्मा का अंश है,
शरीर में छुपा हुआ
उसमें भी हंस है।
दिल है दिमाग है
साँस वो भी लेते हैं,
हक है उन्हें भी
वे प्रकृति में जीते हैं।
अस्थि मज्जा रक्त से
शरीर उसका भी बना है,
इस दुनिया में रहना
उसको कहाँ मना है।
उसका भी अपना
परिवार के संग वास है,
ऐ मानव
तू ही बदहवास है।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
वर्ष – 2023 के लिए
साहित्य और लेखन के क्षेत्र में
लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड प्राप्त।