मतदान
आइये हम सब करें मतदान,
जनतंत्र का हो फिर सम्मान।
बेमतलब की सुस्ती त्यागें,
एक – एक मत की कड़ी जोड़ें,
सही व्यक्ति को चुनकर लायें,
दूसरों पर जिम्मेदारी न छोड़ें,
अपना मत, अपनी पहचान,
जनतंत्र का हो फिर सम्मान।
स्वयं को अब हमें है जगाना,
देना है मत रख यह विश्वास,
बदलना है अब अपना देश,
सबकी खुशहाली, सबका विकास,
चुनें सुशासन, करें राष्ट्र नवनिर्माण।
जनतंत्र का हो फिर सम्मान।
रचनाकार :- कंचन खन्ना, मुरादाबाद,
(उ०प्र०, भारत) ।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)।
दिनांक :- २२.०४.२०१९.