मतदान करो और देश गढ़ों!
राष्ट्र हेतु बन राष्ट्र हितैषी, हर एक फ़र्ज़ निभाना।
कर मतदान तू अपने मन से, राष्ट्रप्रेम दिखलाना।।
हैं अधिकार मिले जो साथी, इसे नही ठुकराना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
वह होता तो यह होता, यह होगा तो अच्छा होगा।
चुनने का है मौका तुमको, चुनो कौन सच्चा होगा।।
एक दिवस के आलस से, पड़े पाँच वर्ष पछताना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
अपनी अंगुली की ताकत, बन जनता दिखला दो।
लोकतंत्र के पर्व को सब, मिलके सफल बना दो।।
झूठे बहाने दे- दे साथी, छोड़ो खुद को भरमाना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
एक बहाना सरदर्दी, और एक बहाना उफ्फ गर्मी।
एक बहाना छुट्टी के पल, छीने चैन क्यों बेशर्मी।।
छोड़ थकावट से अपने, दिन पैर पसार बिताना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
एक बहाना हुई है शादी, छोड़ उसे कैसे जाए।
एक बहाना बूढ़े हैं जो, बोलो उन्हें कैसे लाए।।
हटा बहाने सीखो प्यारे, चुनाव का पर्व मनाना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
एक बहाना किसे वोट दें, सब के सब है अपने।
एक बहाना क्यों देखे हम, जागते आखों सपने।।
है सारे बहाने ये जंजाली, न जालों में फंस जाना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
जागरूकता दिखा के हम, जागरूक कहलाएंगे।
स्वार्थ की परिपाटी से उठ, मतदाता बन जाएंगे।।
मतदान करो और देश गढ़ों, है नारा यही लगाना।
अपना मत देने हेतु तुम, खुद को खुद ले जाना।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २०/०४/२०२४)