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11 Feb 2018 · 1 min read

मजहबी कायदे

मज़हबी फासले न भाते हैं।
हम सभी को गले लगाते हैं।।

दिल से उसने निकाल फेंका तो।
ख़ुद को ख़ुद के करीब पाते हैं।।

मुद्दतें बीती उन्हें मनाने में।
आज भी सपने हम सजाते हैं।।

छू लिया प्यार से सनम ने उस।
हाथ को अब भी चूमे जाते हैं।।

चाहतें कम न होने देंगे हम।
देखते कितना आजमाते हैं

आरती लोहनी

2 Likes · 1 Comment · 537 Views
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