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31 Mar 2024 · 1 min read

कोई दरिया से गहरा है

कोई दरिया से गहरा है
कोई गहरा ये दरिया है
कहीं पर प्यास का मौसम
कहीं बरसात ज्यादा है..।।

कहीं रोता खुद आंसू
कहीं आंसू ही मोती है
कहीं पर भूख है ज्यादा
कहीं रोटी ही रोटी है…

✍️कवि दीपक सरल☑️

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