मजबूरियां थी कुछ हमारी
ल
मजबूरियां थी कुछ हमारी।
कि ऐसा हमने किया नहीं।।
लौट गए वापस हम घर।
और वजह इसकी कोई नहीं।।
मजबूरियां थी—————–।।
तू ही नहीं, एक जरूरत हमारी।
और भी है जिम्मेदारी हमारी।।
रिश्तें भी तो निभाने हैं।
रस्मों ने बढ़ने दिया नहीं।।
मजबूरियां थी—————-।।
तुम्हें भी बनाते साथी हमारा।
करते पूरा यह ख्वाब हमारा।।
बसना भी तो यहीं था हमको।
सम्मान हमारा वहाँ किया नहीं।।
मजबूरियां थी——————।।
जरूरत तुमको हमारी नहीं थी।
हमसे खुशी तेरे दिल को नहीं थी।।
ऐसे में हम क्यों बर्बाद होते।
तुमने भी हमको मनाया नहीं।।
मजबूरियां थी—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)