Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2020 · 1 min read

मजदूर ही तो थे….

आँखे भरी आशाओं से,सर पे लदी संदूक है
बाजू मे बच्चा रो रहा और कड़कड़ाती धूप है।
होठों पे घर की रट लगी है, प्यास भी अनकूत है,
जेब भी खाली पड़ी, झोले मे भी कुछ टूक है।

चप्पल भी थोड़ी सी बची है, बची उतनी ही जान है,
रात सी अब हो गयी और रास्ता अंजान है,
इक सवाल है अब उठ रहा, अंदर ही अंदर चुभ रहा,
कुसूर मैंने क्या किया, क्यूँ मैं ही सबकुछ सह रहा,
क्यूं मैं ही सड़को पर खड़ा,क्यूँ मैं अकेले चल रहा,
और भी तो रह गए थे, थी पास जिनके गाडियाँ,
कैसे उन्हे जाने दिया, हमपे ही क्यूं ये लाठियाँ।

हम भी तो इंसान थे, जाना हमे भी घर ही था,
क्यूँ इतने बेगैरत हुए, पत्थर तुम्हारा दिल हुआ,
हम मर गए तो क्या हुआ, किसको फरक है पड़ रहा,
रेंग रहे थे सड़कों पर, मजबूर ही तो थे
मजदूर ही तो थे।!!!!!!!!!!!
—— ऋषि सरोज

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 363 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
मुख्तलिफ होते हैं ज़माने में किरदार सभी।
Phool gufran
माता की महिमा
माता की महिमा
SHAILESH MOHAN
अकेले
अकेले
Dr.Pratibha Prakash
कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिफल चलता रहता है
कामनाओं का चक्रव्यूह, प्रतिफल चलता रहता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
दो शे'र ( चाँद )
दो शे'र ( चाँद )
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
*अपवित्रता का दाग (मुक्तक)*
Rambali Mishra
"खूबसूरती"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
तुम पलाश मैं फूल तुम्हारा।
Dr. Seema Varma
भोर काल से संध्या तक
भोर काल से संध्या तक
देवराज यादव
बेवजह किसी पे मरता कौन है
बेवजह किसी पे मरता कौन है
Kumar lalit
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
कविता तो कैमरे से भी की जाती है, पर विरले छायाकार ही यह हुनर
ख़ान इशरत परवेज़
-- मैं --
-- मैं --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
'क्या कहता है दिल'
'क्या कहता है दिल'
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
निभाना नही आया
निभाना नही आया
Anil chobisa
अनेक मौसम
अनेक मौसम
Seema gupta,Alwar
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
रात अज़ब जो स्वप्न था देखा।।
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
it's a generation of the tired and fluent in silence.
it's a generation of the tired and fluent in silence.
पूर्वार्थ
कजरी
कजरी
प्रीतम श्रावस्तवी
कड़वी बात~
कड़वी बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
आखिरी वक्त में
आखिरी वक्त में
Harminder Kaur
2879.*पूर्णिका*
2879.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
'हिंदी'
'हिंदी'
पंकज कुमार कर्ण
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
स्त्रियां पुरुषों से क्या चाहती हैं?
अभिषेक किसनराव रेठे
किस क़दर आसान था
किस क़दर आसान था
हिमांशु Kulshrestha
श्री कृष्णा
श्री कृष्णा
Surinder blackpen
राम नाम
राम नाम
पंकज प्रियम
धार में सम्माहित हूं
धार में सम्माहित हूं
AMRESH KUMAR VERMA
💐प्रेम कौतुक-483💐
💐प्रेम कौतुक-483💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ चिंतन का निष्कर्ष
■ चिंतन का निष्कर्ष
*Author प्रणय प्रभात*
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
जिम्मेदारी और पिता (मार्मिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
Loading...