Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 May 2024 · 1 min read

मजदूर दिवस मनाएं

मजदूर दिवस मनाएं

आओ चलें सब 1 मई को,
मिलजुल कर मजदूर दिवस मनाएं।
सलाम है उनके हौसलों को जो,
दो वक्त की रोटी पाने को,
मेहनत कर परिवार चलाएं।
शारीरिक श्रम को वह अपना के
अपने सपनों का महल बनाएं।
श्रमिकों के कठोर हाथों से,
जकड़े हुए हथौड़े,
तपती धूप में भी चलते पैरों को,
ना आराम दिलाए।
ऊंची ऊंची इमारतें बनाकर
जग में बेनाम हो जाए।
मालिक के सपनों के महल को,
वह सही अंजाम दिलाए।
मेहनतकश मजदूरों के संघर्षों की
कहानी सुनाई जाती है
इतिहासकारों की जुबानियां।
कहां रहती है, सबकी जुबां पर
इन सब लोगों के लिए सहानुभूतियां
किसी भी मौसम के प्रकोप से,
ना डरते वह सब।
दिन भर श्रम करके रात को लेते
सुकून की नींद।
ना कोई उनके ख्वाब बड़े,
ना कोई महल ऊंचे।
मकान के नीव के शुरुआत से
लेकर, उसको सुंदर महल का रूप
देकर अपने हुनर, अपने श्रम,
अपने मंजिल, को पूरा करके,
फिर से नए मकान और ऊंची इमारत
के सपनों को करने लगते
साकार, धन्य है उपकार
इस धरा पर तुम्हारा।
अपने सुंदर हाथों की कला से
संसार गढ़े सारा।
आओ चले सब मिलजुल कर
मजदूर दिवस मनाएं।
सलाम है उनके हौसलों को,
उनके संघर्षों को।

रचनाकार
कृष्णा मानसी
बिलासपुर, (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
14 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
किया है तुम्हें कितना याद ?
किया है तुम्हें कितना याद ?
The_dk_poetry
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
ये जंग जो कर्बला में बादे रसूल थी
shabina. Naaz
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
हर बार बीमारी ही वजह नही होती
ruby kumari
ये  दुनियाँ है  बाबुल का घर
ये दुनियाँ है बाबुल का घर
Sushmita Singh
चाँद से वार्तालाप
चाँद से वार्तालाप
Dr MusafiR BaithA
प्रतिशोध
प्रतिशोध
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
मन करता है अभी भी तेरे से मिलने का
Ram Krishan Rastogi
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
प्रो. दलजीत कुमार बने पर्यावरण के प्रहरी
Nasib Sabharwal
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Manu Vashistha
अच्छा इंसान
अच्छा इंसान
Dr fauzia Naseem shad
हाइकु
हाइकु
Prakash Chandra
परिश्रम
परिश्रम
ओंकार मिश्र
2407.पूर्णिका
2407.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
हो गया
हो गया
sushil sarna
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
क़दर करके क़दर हासिल हुआ करती ज़माने में
आर.एस. 'प्रीतम'
Dear myself,
Dear myself,
पूर्वार्थ
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
Kishore Nigam
😢हे माँ माताजी😢
😢हे माँ माताजी😢
*Author प्रणय प्रभात*
चौथापन
चौथापन
Sanjay ' शून्य'
मैने वक्त को कहा
मैने वक्त को कहा
हिमांशु Kulshrestha
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
ख्वाहिशों के बोझ मे, उम्मीदें भी हर-सम्त हलाल है;
manjula chauhan
मुकाम
मुकाम
Swami Ganganiya
क्यों बदल जाते हैं लोग
क्यों बदल जाते हैं लोग
VINOD CHAUHAN
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
Satyaveer vaishnav
*खुशी के पल असाधारण, दोबारा फिर नहीं आते (मुक्तक)*
*खुशी के पल असाधारण, दोबारा फिर नहीं आते (मुक्तक)*
Ravi Prakash
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
निर्मम क्यों ऐसे ठुकराया....
डॉ.सीमा अग्रवाल
Loading...