मजदूर दिवस मनाएं
मजदूर दिवस मनाएं
आओ चलें सब 1 मई को,
मिलजुल कर मजदूर दिवस मनाएं।
सलाम है उनके हौसलों को जो,
दो वक्त की रोटी पाने को,
मेहनत कर परिवार चलाएं।
शारीरिक श्रम को वह अपना के
अपने सपनों का महल बनाएं।
श्रमिकों के कठोर हाथों से,
जकड़े हुए हथौड़े,
तपती धूप में भी चलते पैरों को,
ना आराम दिलाए।
ऊंची ऊंची इमारतें बनाकर
जग में बेनाम हो जाए।
मालिक के सपनों के महल को,
वह सही अंजाम दिलाए।
मेहनतकश मजदूरों के संघर्षों की
कहानी सुनाई जाती है
इतिहासकारों की जुबानियां।
कहां रहती है, सबकी जुबां पर
इन सब लोगों के लिए सहानुभूतियां
किसी भी मौसम के प्रकोप से,
ना डरते वह सब।
दिन भर श्रम करके रात को लेते
सुकून की नींद।
ना कोई उनके ख्वाब बड़े,
ना कोई महल ऊंचे।
मकान के नीव के शुरुआत से
लेकर, उसको सुंदर महल का रूप
देकर अपने हुनर, अपने श्रम,
अपने मंजिल, को पूरा करके,
फिर से नए मकान और ऊंची इमारत
के सपनों को करने लगते
साकार, धन्य है उपकार
इस धरा पर तुम्हारा।
अपने सुंदर हाथों की कला से
संसार गढ़े सारा।
आओ चले सब मिलजुल कर
मजदूर दिवस मनाएं।
सलाम है उनके हौसलों को,
उनके संघर्षों को।
रचनाकार
कृष्णा मानसी
बिलासपुर, (छत्तीसगढ़)