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3 Dec 2023 · 1 min read

दान योग्य सुपात्र और कुपात्र

दान योग्य सुपात्र और कुपात्र ।

धार्मिक पूजा स्थल हमारी आस्था का केंद्र हैं ।सनातन धर्म में धन संग्रह का निषेध किया गया है, अतः दोष निवारण हेतु दान दक्षिणा का प्रावधान किया गया है ।उक्त दान उपयुक्त व्यक्ति अर्थात वेदपाठी ब्राह्मण अथवा मंदिरों में किया जा सकता है ,तभी किए गए पुण्य का फल प्राप्त होता है। कुपात्र को दान देने से पुण्य का उचित फल प्राप्त नहीं होता है, यह सनातन धर्म की उचित एवं वैज्ञानिक मान्यता है। ज्ञानी व्यक्ति को दान देने से स्वज्ञान द्वारा ज्ञानी व्यक्ति दान कर्ता की सोच, समझ एवं समस्याओं के निवारण हेतु निरंतर प्रयासरत रहते हैं। जो दान कर्ता की शंकाओं और कष्टों का निवारण करते हैं, एवं सनातन धर्म में की गई आस्था को प्रतिष्ठित और प्रचारित करते हैं। यह सनातन धर्म का मूल उद्देश्य भी है । कुपात्र व्यक्ति को दान दक्षिणा द्वारा सहयोग करने से वह व्यक्ति व्यसनों में अपना धन व्यय करता है। उस व्यक्ति की सोच समझ व्यसनों को पूर्ण करने तक सीमित होती है। जिसको पूर्ण करने हेतु वह व्यक्ति छल कपट मिथ्या आचरण का सहारा लेता है। अतः उसकी सहायता करने से कुछ प्राप्त नहीं होता वस्तुत: दानकर्ता का धन अनुचित व्यसनों की पूर्ति में व्यय होता है। जिसका दोष दानकर्ता को लगता है ।अतः दान करने से पूर्व सुपात्र और कुपात्र का चयन अपने विवेक और बुद्धि से अवश्य करें ।तभी दान कर्ता का उद्देश्य सफल होता है।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव प्रेम

Language: Hindi
Tag: लेख
159 Views
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