*मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)*
मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें (हिंदी गजल)
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1)
मची हैं हर तरफ ऑंसू की, हाहाकार की बातें
जगी ग्लूकोज की बोतल से, कुछ उजियार की बातें
2)
सघन ज्वर से सभी पीड़ित हैं, देखो अस्पतालों में
अभी भी चल रही घुटनों की, सौ-सौ हार की बातें
3)
न जाने रोग यह कैसा है, मोटे हाथ-पैरों का
छुओ तो लग रहा है जैसे, हैं उस पार की बातें
4)
न जाने कौन-सा अचरज है, कैसा ज्वर चला आया
चली चर्चा तो लगता है, चली तलवार की बातें
5)
किसे मालूम है बच जाए, या फिर चल बसे कोई
हवा में तैरती रहती हैं, यों बीमार की बातें
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451