मंहगाई से कैसे बचें…
कहते हैं मंहगाई बढ़ रही है,
ये नहीं कहते कि शौंक बढ़ रहे है ।
पहले पीते थे कुए का पानी,
घडे़ में ठण्डा करके,
फिर भी निरोगी थे ।
अब फ्रिज़ और आर ओ का पी रहे है ।
फिर भी बीमारियों से घिर रहे हैं।
पहले पूरे शरीर में एक ही तेल लगाते थे,
फिर भी सुंदर थे,
आज फेयर नेस क्रीम ,बाँडी लोशन, और हेयर आँयल अलग अलग लगा रहे है,
फिर भी हेयर फाँल और चर्म रोग से पीडित है ।
खाने के भी अजीब शौक बन गये है…
तम्बाकू, पान मसाला, सुपाडी़, गुटखा, सिगरेट, शराब ये कितने भी मंहगे हो जाएं कोई आवाज नहीं उठाने वाला, एवं बीमारियों को आमंत्रण देने वाली चीजों का सेवन कर रहे है, इनके मंहगे होने से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
जबकि किसान का अनाज, सब्जी आदि के दाम जरा बढ़ जाए तो लोग चिल्लाने लगते हैं कि मंहगाई बढ़ रही हैं ।
थोडी़ दूरी पैदल तय करने की जगह वाहन से जाकर ईधन का दुरूपयोग कर रहे हैं ,
और कहते हैं !
डीजल, पैट्रोल मंहगा हो रहा है ,
जबकि ये नहीं सोचते की अतिआवश्यक होने पर ही वाहन का उपयोग कर डीजल, पैट्रोल की बचत कर मंहगाई से बचें।
थोडा़ पैदल भी चला करो जनाब जिससे स्वास्थ भी ठीक रहेगा और बचत भी होगी। ??
डां. अखिलेश बघेल
दतिया (म.प्र.)