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27 Apr 2020 · 1 min read

” मंजिल – रास्ता “

इस मंजिल और रास्ते की खोज में ,
ना जाने कितने मुसाफ़िर घर से निकल गए ।

मंजिल की तलाश में कई नए अवसर सामने आए ,
मंजिल का रास्ता भूल अवसर अपना आए ।

चले थे मंजिल का सपना सजाए ,
भेड़ चाल में अपना विवेक ना लगा पाए ।

जल्दी की सफलता के लिए ,
अपना संतुलन बिगाड़ आए ।

अपनी गलती खुद ही समझ ना आए ,
पल भर में दुसरो पर आरोप लगाए ।

अपना अस्तित्व ना जान पाए ,
खुद को दिखावे में बदल आए ।

ना मंजिल मिला ना रास्ता ,
सफर में मुसाफ़िर खुद को ही खो आए।

? धन्यवाद ?

✍️ ज्योति ✍️
नई दिल्ली

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 257 Views
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