भ्रूणहत्या
पाप इस जग में भ्रूणहत्या है घोर अपराध,
करके यह अपराध कुल को बदनाम न कर,
है यह कलंकित कृत्य इस समाज का,
न कर यह घोर अपराध।
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बेटा -बेटी हैं एक समान,
समाज में कुरीतियां न फैला हे मानव,
बेटी को कोख में मार देना,
नहीं है कोई शान का काम।
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इस जगत में आना सब का है अधिकार,
फिर क्यों वंचित कर रहा है बेटी को आने से?
बेटी नहीं है कम आज किसी भी बेटे से।
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घर गृहस्थ, सामाजिक सरोकार और,
शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और रोजगार क्षेत्र में,
बेटियां बेटों से काफी आगे निकल गई हैं,
समाज को सभ्य, सुसंस्कृत और शिक्षित कर,
आलोकित कर रही हैं बेटियां अपनी प्रदिप्ति से।
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बेटों से कोसों आगे निकल गई हैं बेटियां,
फिर भी समाज अपनी सोच नहीं बदल रहा है,
अपनी घृणित सोच से मानव दूषित कर रहा समाज।
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भ्रूणहत्या है एक संगीन अपराध भी,
यह समाज की कुत्सित सोच का है प्रमाण,
अब भी समय है मानव कर ले अपनी भूल सुधार,
वरना दोजख में भी जगह नहीं मिलेगी।
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डॉ प्रवीण ठाकुर
भाषा अधिकारी
निगमित निकाय भारत सरकार
शिमला हिमाचल प्रदेश।