Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jun 2017 · 2 min read

भ्रुण हत्या

बेटी है गर्भ के अंदर एक बाप यह जान गया था..
बेटी कि भ्रुण हत्या का फिर उसने विचार किया था…
तभी अचानक माँ की कोंख से बेटी की आवाज आयी…
क्यु मारते हो मुझको मेने क्या अपराध किया था…

दुनिया मे भी देखना चाहती हु, बेटी होना क्या पाप है…
लड़की होना क्या दोष है मेरा, क्या यह अभिशाप है…

बेटे से कम न आंको मुझे घर आँगन को खुशहाल करुगीं…
बेटी हु मे बोझ नही हु कब दुनिया ये समझेगी….

भले प्यार न करना मुझको पर आप पर जी जान लुटा दुंगी…
एक बेटे कि तरह ही आपका नाम रोशन करुगीं…

इतना सुन करके उस बाप की आत्मा बोल उठी…
मे भी तुझको जान से ज्यादा प्यार करता हु बेटी…

मे भी बेटी तुझको नाजो से पालना चाहता हु…
पर इस दुनिया कि दरिंदगी से तुझको बचाना चाहता हु…

हैवानियत है दुनिया मे तु केसे अपनी लाज बचायेगी..
दहेज लोभियो के हाथो एक दिन जला दी जायेगी…

आजादी से तुझे ये दुनिया नही रहने देगी…
तुझे बांध के रखने को नित नये नियम बनायेगी…

केसे देखुंगा मे तेरी लुटती हुई अस्मत को…
जब कुछ दरिंदो के हाथो चोराहै पर नोंची जायेगी…

रो रो कर कोंख से ही वो फिर बोल उठी…
होंसलो मे उड़ान भरना फिर मजबूत बनेगी आपकी बेटी…

खुब पड़ाकर इतना सक्षम बनाना मुझको….
झांसी की रानी जैसे मे सबक सिखाउ दरिंदो को….

मजबुत इरादो से अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाउंगी…
आप साथ देना मेरा, फिर आपकी बेटी को ये दुनिया नही जला पायेगी…

इतना सुनकर वो पिता शर्मिंदगी से झुक गया…
भ्रुण हत्या का फेसला फिर उसने बदल दिया…

वो बोला इस दुनिया को मे समझाउगां…
भ्रुण हत्या है महापाप ये सबको बतलाउगां

बेटी होती बोझ नही, ये सबको बतलाउगां….

बेटे से बड़कर है बेटी, बेटी रूप है शक्ति का,घर आँगन को महकायेगी…
एक दिन बड़ी होकर विदा होकर, पराये घर चली जायेगी…

बेटे की चाह रखने वालो बहु कहा से लाओगे,बिन बेटी के वंश केसे बड़ाओगे…
जब धरती ही नही होगी तो फसल कहाँ उगाओगे….

डॉ संदीप विश्वकर्मा….
चिकित्सक, आरोग्य होम्यो क्लीनिक….
ब्यावरा (राजगड़)

Language: Hindi
1 Comment · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ओम साईं रक्षक शरणम देवा
ओम साईं रक्षक शरणम देवा
Sidhartha Mishra
आहुति  चुनाव यज्ञ में,  आओ आएं डाल
आहुति चुनाव यज्ञ में, आओ आएं डाल
Dr Archana Gupta
"बदलाव"
Dr. Kishan tandon kranti
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार है
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार है
Neeraj Agarwal
2843.*पूर्णिका*
2843.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोस्ती
दोस्ती
लक्ष्मी सिंह
छोड़कर साथ हमसफ़र का,
छोड़कर साथ हमसफ़र का,
Gouri tiwari
गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत
गुलों पर छा गई है फिर नई रंगत "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी MUSAFIR BAITHA
आखिर मैंने भी कवि बनने की ठानी MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
शिद्दत से की गई मोहब्बत
शिद्दत से की गई मोहब्बत
Harminder Kaur
दुख
दुख
Rekha Drolia
श्रेष्ठों को ना
श्रेष्ठों को ना
DrLakshman Jha Parimal
बहुत संभाल कर रखी चीजें
बहुत संभाल कर रखी चीजें
Dheerja Sharma
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह
श्री रामचरितमानस में कुछ स्थानों पर घटना एकदम से घटित हो जाती है ऐसे ही एक स्थान पर मैंने यह "reading between the lines" लिखा है
SHAILESH MOHAN
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
Vishal babu (vishu)
*अगर संबंध अच्छे हैं, तो यह नुक्सान रहता है 【हिंदी गजल/गीतिक
*अगर संबंध अच्छे हैं, तो यह नुक्सान रहता है 【हिंदी गजल/गीतिक
Ravi Prakash
** मंजिलों की तरफ **
** मंजिलों की तरफ **
surenderpal vaidya
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
चमकते सूर्य को ढलने न दो तुम
कृष्णकांत गुर्जर
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त-वक्त की बात है
वक्त-वक्त की बात है
Pratibha Pandey
बदल गया जमाना🌏🙅🌐
बदल गया जमाना🌏🙅🌐
डॉ० रोहित कौशिक
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
मै ज़िन्दगी के उस दौर से गुज़र रहा हूँ जहाँ मेरे हालात और मै
पूर्वार्थ
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
Bhupendra Rawat
निगाहें
निगाहें
Shyam Sundar Subramanian
नैनों में प्रिय तुम बसे....
नैनों में प्रिय तुम बसे....
डॉ.सीमा अग्रवाल
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
“बेवफा तेरी दिल्लगी की दवा नही मिलती”
Basant Bhagawan Roy
शायरी संग्रह
शायरी संग्रह
श्याम सिंह बिष्ट
"घर की नीम बहुत याद आती है"
Ekta chitrangini
19, स्वतंत्रता दिवस
19, स्वतंत्रता दिवस
Dr Shweta sood
ज़िंदगी कब उदास करती है
ज़िंदगी कब उदास करती है
Dr fauzia Naseem shad
Loading...