भ्रम
मन में भ्रम पाले बैठे हैं
कुछ लोग दिखावे को सच मान बैठे हैं
करता है कोई नाम होता किसी का
रोज़ होते तमाशों का पैरोकार बने बैठे हैं
मेहनत के नाम पर केवल नीचा दिखाना आता है
अपनी बनाई दुनिया के शहंशाह बन बैठे हैं
कुछ तो कहते! करो या ना करो
दोनों पक्ष के बीच में झूला डाल के बैठे हैं
मेरी भलमनसाहत जिन्हें दिखती नहीं
मेरी छोटी सी गलती पर आंख गड़ाए बैठे हैं
या खुदाया रहम करना मेरे रक़ीबो पर
न मालूम मेरे वास्ते कहां-कहां खंजर छुपाए बैठे हैं।