भोलू का विवाह
***भोलू का विवाह*****
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भोलू का रख दिया विवाह
विवाह भोलू की थी चाह
गांव में डंका सा बज गया
भोलू का विवाह रख दिया
साई सप्पे भी पक्के हो गए
गहने गट्टे भी बुक थे हो गए
पूरी हो गई विवाह तैयारियां
इकट्ठी की चारपाई रजाइयां
गांव में पीले भात बंट गए
जैसे काले मेघ थे छंट गए
विवाह की कढ़ाई रख दी
भोलू को हल्दी थी मल दी
नाती भाती भी थे आ गए
रिश्तेदार भी सारे आ गए
भाईचारा साथ खड़ा था
डीजे ढोल भी बज रहा था
बारातियों की लिस्ट बनाई
खबर उन तक थी पहुंचाई
नाच गाना भी चल रहा था
भोलू डी.जे.पर कूद रहा था
रात आठ बजे का समय था
मोदी के आने का समय था
मोदी ने टीवी पर बात बताई
जान सूली पर सबकी चढाई
सरकारी एलान हो गया था
पूरा चक्का जाम हो गया था
सारा देश हुआ लॉकडाऊन
भोलू का हो गया मुख ब्राउन
देश महामारी में था फंस गया
विवाह भोलू का था टल गया
तैयारी करी कराई थी रह गई
लुगाई भोलू की वहीं थम गई
टूट गए थे भोलू के अरमान
जब आया सरकारी फरमान
जलते चूल्हे ठण्डे पड़ गए
भोलू के सांस गले में थम गए
किस्मत भोलू की बड़ी खराब
रह गई थी जूते में पड़ी जुराब
नाच गाने खाने भी बंद हो गए
सुखविंद्र अपने घर को हो गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)