भोर का सुखमय एहसास ।
अभी-अभी सुबह सवेरे,
सूर्य किरण मस्तक को छू गई,
गहरी लालिमा भोर की किरण,
ओठों में मुस्कान के रंग भर गई,
पुष्प कमल सरोवर के मध्य,
नाजुक पंखुड़ियों को खोल ली अंगड़ाई,
पवन के संग फुदक-फुदक कर,
बस्ते लिए नन्हे मुन्ने पाठशाला जाए,
पक्षी वृक्ष की टहनियों में बैठ,
सुरीली चीं-चीं कर के मन बहलाये,
सरसों के खेतों में पीले फूल,
दूर-दूर तक खूब लह लहाये,
नैनो के पट खोल ग्रहणी,
स्वच्छता के काज में लग जाए,
चमक उठे मन मन्दिर और गृह,
बसंत ऋतु में महके कण-कण,
भोर का सुखमय एहसास करें ।
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।