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4 Aug 2023 · 1 min read

टिंकू की दुकान।

बचपन तो फिर ना आयेगा कभी,
कि हो गये हम नादान से जवान,

सजती है यारों की महफिल जहां,
है वो अपने टिंकू की दुकान,

खो के यादों की गलियों में जहाँ,
ढूंढते हैं हम बचपन के निशान,

यादों की खुशबु से महक उठती,
है अपने टिंकू की दुकान,

रहे हम में से कोई भी कहीं पर,
आज भी ज़िन्दा वो दोस्ताना है,

टिंकू की दुकान हम यारों का,
सदाबहार एक ठिकाना है,

समोसे मिलते जलेबी मिलती,
हर तरह की मिलती मिठाई है,

ऐसी दुकान है टिंकू की जहां,
कई लड़कपन की यादें समाई हैं,

लंगोटिया यार है टिंकू अपना,
कई बरस पुरानी है पहचान,

है दुआ की यारी बनी रहे और,
आबाद रहे टिंकू की दुकान।

कवि-अंबर श्रीवास्तव।

Language: Hindi
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