भूले बिसरे गीत
भूले बिसरे गीत
तुम एक दिन
आना मेरे घर
वहां चारों ओर
बिखरे पड़ें मिलेंगे
कहीं दीवारों पर
तो कहीं दरख्तों पर
वो भूले बिसरे गीत
और उनकी तमाम भूली बिसरी स्मृतियाँ
जो बचपन में
तुमने किसी गली, कूचे,मोहल्ले से
अक्सर गुज़रते किसी मकान किसी दुकान से
कभी सुनी थी ।
मगर जिंदगी की आपा धापी में
आपसे कहीं खो गई
तुम्हें शायद आज याद नहीं
मगर मैंने तुम्हारे ज़हन में
उन गीतों की धीमी-धीमी सुगंध
और उनकी स्मृतियों को
अनुभूत कर लिया था
जब तुमने टूटे फूटे शब्दों में
वो गीत गुनगुनाया था ।
तुम एक दिन
ज़रूर
आना मेरे घर
वहां चारों ओर
बिखरे पड़ें मिलेंगे
कहीं दीवारों पर
तो कहीं दरख्तों पर
वो भूले बिसरे गीत । ।
-रफ़ी अरुण गौतम
मोबाइल 9811447213