भूली बिसरी यादें
प्रेम की पाती सी,
हिरणी जैसी मदमाती सी,
हरित फसल लहलहाती सी,प्रेम सुधा बरसाती सी।
फिर वही भूली बिसरी यादें आई ।
मधु में लिपटी सी,
यादों की गठरी में सिमटी सी।
खट्टी-मीठी गोली सी, कोयल जैसी बोली सी,
संग मीठी मधुर खुशबू बिखराती हुई आई ।
फाल्गुन हुड़दंग मचाती सी,
नभ इंद्रधनुष चटकाती सी।
विरह गीत गुनगुनाती सी,
पिया मिलन को जाती सी
देख सौलह श्रृंगार किए, महकती ऋतु वसंत आई।
नीलम अंंबर में विलीन थीं,तेरी भूली बिसरी यादेंआई।
नीलम शर्मा