“भूख”..जीवन से मृत्यु तक
तड़प रहा…
भूख से बेहाल हो…
भटक रहा ।।
फटे कपडे…
गला रूँध सा भरा…
निर्मम शब्द ।।
सजल नेत्र…
भाव करूणा लिए…
रूंधित स्वर ।।
परित्यक्त भोग…
मिटा रहा क्षुधा वो…
उठा धरा से ।।
देख वृथा वो…
अन्तस चित्कार से…
आत्म विह्वल ।।
हाँ शब्द मौन…
स्तब्ध तन प्राण से…
आत्ममंथन ।।
-अर्चना शुक्ला”अभिधा”