भूख के पीछे
उड़ते पर
उजड़ते घर,
बेबस नारी
भटके नर।
बिखरते लोग
बिगड़ता समाज,
दिशाहीन कल
बहकता आज।
दबाया सच
उन्नत झूठ,
पापी पेट
पैसा भूख।
— पुखराज तेली 🥀
उड़ते पर
उजड़ते घर,
बेबस नारी
भटके नर।
बिखरते लोग
बिगड़ता समाज,
दिशाहीन कल
बहकता आज।
दबाया सच
उन्नत झूठ,
पापी पेट
पैसा भूख।
— पुखराज तेली 🥀