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18 Oct 2022 · 1 min read

भूख के पीछे

उड़ते पर
उजड़ते घर,
बेबस नारी
भटके नर।

बिखरते लोग
बिगड़ता समाज,
दिशाहीन कल
बहकता आज।

दबाया सच
उन्नत झूठ,
पापी पेट
पैसा भूख।

— पुखराज तेली 🥀

1 Like · 150 Views
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