Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

# पिता#

पिता,
एक दरख्त की छांव के मानिंद,
परिश्रम और अनुशासन का पर्याय,
नारियल की सतह जैसा कठोर,पर
अंदर से कोमल और ममत्व भरा दिल,
क्या बच्चे देख पाते हैं?

आकाश जैसी पिता की अदृश्य सरपरस्ती,
छलकने से पूर्व ही कोरों में सायास रोके गए अश्रु,
अंतर्मन में उबलता स्नेह का अपरिमित लावा,
खुद तपकर बच्चों को खरा सोना बनाना,
क्या बच्चे कभी महसूस करते हैं?

“अरे लड़के भी कहीं रोते हैं”, कहकर
उसे असमय ही बालक से पुरूष बना
जो अंदर अपनी ममता को जज्ब कर
सर पर केवल हाथ फेर, मूक आशीष देते
पिता, तो बस ऐसे ही होते हैं,

दिखलाते भले ही नहीं वो, पर,
बच्चों की सफलता पर गर्वित होता सीना
और बेटी की विदाई पर मन में घुमड़ता
स्नेह और पीड़ा का सागर तो,उन्हें भी बेचैन करता है।
क्या बच्चे कभी समझ पाते हैं?

मां पर बहुत कुछ लिखा सबने,
उसे ईश्वर तुल्य माना, पर पिता तो….
उसी ईश्वर की कल्पना को साकार करने
कच्ची मिट्टी को आकार देने की कोशिश में
ताउम्र स्वयं को होम करता रहता है
क्या कसकते मन की व्यथा कभी
बच्चे कभी समझेंगे? शायद हां भी.. शायद ना भी

अगर मां को कोई पर्याय नहीं तो
पिता का भी कोई विकल्प नहीं….

Language: Hindi
59 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Madhavi Srivastava
View all
You may also like:
कोशी के वटवृक्ष
कोशी के वटवृक्ष
Shashi Dhar Kumar
क्या गुजरती होगी उस दिल पर
क्या गुजरती होगी उस दिल पर
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
सितारों को आगे बढ़ना पड़ेगा,
सितारों को आगे बढ़ना पड़ेगा,
Slok maurya "umang"
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
"मतदान"
Dr. Kishan tandon kranti
अमिट सत्य
अमिट सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
सब कुछ दुनिया का दुनिया में,     जाना सबको छोड़।
सब कुछ दुनिया का दुनिया में, जाना सबको छोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
मेहनत और अभ्यास
मेहनत और अभ्यास
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
(3) कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर !
(3) कृष्णवर्णा यामिनी पर छा रही है श्वेत चादर !
Kishore Nigam
तू मेरी हीर बन गई होती - संदीप ठाकुर
तू मेरी हीर बन गई होती - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
जिस मीडिया को जनता के लिए मोमबत्ती बनना चाहिए था, आज वह सत्त
शेखर सिंह
मैं घर आंगन की पंछी हूं
मैं घर आंगन की पंछी हूं
करन ''केसरा''
चांद बिना
चांद बिना
Surinder blackpen
"सुप्रभात "
Yogendra Chaturwedi
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
देश से दौलत व शुहरत देश से हर शान है।
सत्य कुमार प्रेमी
मेल
मेल
Lalit Singh thakur
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
प्रेम
प्रेम
Acharya Rama Nand Mandal
🌼एकांत🌼
🌼एकांत🌼
ruby kumari
बदलती जिंदगी की राहें
बदलती जिंदगी की राहें
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
रंगमंचक कलाकार सब दिन बनल छी, मुदा कखनो दर्शक बनबाक चेष्टा क
DrLakshman Jha Parimal
रिवायत दिल की
रिवायत दिल की
Neelam Sharma
माई कहाँ बा
माई कहाँ बा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बेख़बर
बेख़बर
Shyam Sundar Subramanian
💐प्रेम कौतुक-97💐
💐प्रेम कौतुक-97💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इससे ज़्यादा
इससे ज़्यादा
Dr fauzia Naseem shad
दो मीत (कुंडलिया)
दो मीत (कुंडलिया)
Ravi Prakash
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
बाप अपने घर की रौनक.. बेटी देने जा रहा है
Shweta Soni
जब तक हो तन में प्राण
जब तक हो तन में प्राण
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
পৃথিবী
পৃথিবী
Otteri Selvakumar
Loading...