भुलाने चले हम
उन्हे जिंदगी से भुलाने चलेे हम
फोटो को उनकी छुपाने चले हम,
चाहा था जिनको जां से भी ज्यादा
प्यार की बस्ती जलाने चले हम
हस्त लकीरों पे भरोसा ना करना
उसी की कहानी सुनाने चले हम
मुहब्बत ना पूरी ना होती अधूरी
मुहब्बत के नगमे दिखाने चले हम
“कृष्णा” बफाई से वफा ना ही करना
पुरानी सी यादों को मिटाने चले हम
कृष्णकांत गुर्जर