भुजंगप्रयात, छन्द
[ 13/09/2020]
भुजंगप्रयात, छन्द, प्रथम प्रयास,
अंकावली-122 122 122 122
कभी क्रोध में तो कभी शान्त हूँ मैं ।
कभी है खुशी तो कभी आर्त हूँ मैं ।
कहीं दूर जाने न दे ये जमाना।
बनाऊं नया रोज कोई बहाना ।
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लिखूं आज ऐसी खुदा की खुदाई ।
उसी ने सभी की दशा ये बनाई ।
न कंगाल कोई न कोई धनी है ।
मिले कर्म से है सभी को मनी है।
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हमें श्याम कोई तराना सुनाओ ।
बजा बांसुरी तान मीठी सुनाओ ।
सुने तान जो भी वही हो दिवाना ।
कहे श्याम ने आज छेड़ा तराना ।
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कहे गोपियां श्याम आया नहीं है ।
उसे राधिका ने बुलाया नही है ।
बुला श्याम को लो अभी आप राधा ।
तुम्हारे बिना श्याम है आज आधा ।
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सुदामा सखा कृष्ण का है पुराना ।
खड़ा द्वार पे वो नहीं है ठिकाना ।
बुलाके तभी राज गद्दी बिठाया ।
अहो भाग्य मेरे सखा द्वार आया ।
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स्वरचित✍️✍️
अभिनव मिश्र
(शाहजहांपुर )