Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Nov 2019 · 1 min read

भुजंगप्रयात छंद

भुजंगप्रयात छंद
१२२ १२२ १२२ १२२
शुचे ! पास मेरे, कथाएँ पड़ी हैं।
निशानी तुम्हारी, व्यथाएँ पड़ी हैं।।
हरे वक्ष के है,अभी घाव सारे।
मिले थे, मुझे जो, तुम्हारे सहारे।।

शुभे ! ये कथाएँ,किसे मैं सुनाऊँ।
कहो आज कैसे इन्हें मै छुपाऊँ।।
दबी पीर जो है, वहीं हैं रुलाती।
यहीं पास में तो, तुम्हे है बुलाती।।

✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन”

Language: Hindi
1 Like · 537 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all

You may also like these posts

कीचड़ से कंचन
कीचड़ से कंचन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Falling Out Of Love
Falling Out Of Love
Vedha Singh
पर्यावरण से न कर खिलवाड़
पर्यावरण से न कर खिलवाड़
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कठिनताओं की आवाजाही हीं तो, जीवन को लक्ष्य से मिलवाती है।
कठिनताओं की आवाजाही हीं तो, जीवन को लक्ष्य से मिलवाती है।
Manisha Manjari
अद्वितीय प्रकृति
अद्वितीय प्रकृति
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
क़िताब ज़िंदगी की
क़िताब ज़िंदगी की
Kanchan verma
कल तो निर्मम काल है ,
कल तो निर्मम काल है ,
sushil sarna
सबसे बड़ा झूठ
सबसे बड़ा झूठ
Sudhir srivastava
"ज़हन के पास हो कर भी जो दिल से दूर होते हैं।
*प्रणय*
आंखें हमारी और दीदार आपका
आंखें हमारी और दीदार आपका
Surinder blackpen
संवेदना
संवेदना
Shama Parveen
E certificate kab tak milega
E certificate kab tak milega
भरत कुमार सोलंकी
मैं एक शिक्षक
मैं एक शिक्षक
Ahtesham Ahmad
स्वर्णमुखी छंद
स्वर्णमुखी छंद
Rambali Mishra
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
एक और द्रौपदी (अंतःकरण झकझोरती कहानी)
गुमनाम 'बाबा'
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
रमेशराज की जनकछन्द में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
VINOD CHAUHAN
रंगो की रंगोली जैस दुनिया ,इस दुनिया के रंग में  मैं कुछ इस
रंगो की रंगोली जैस दुनिया ,इस दुनिया के रंग में मैं कुछ इस
Nitesh Chauhan
मई दिवस
मई दिवस
Neeraj Agarwal
মহাদেবের কবিতা
মহাদেবের কবিতা
Arghyadeep Chakraborty
अच्छे बच्चे
अच्छे बच्चे
विजय कुमार नामदेव
द्वार पर
द्वार पर
Dr. Bharati Varma Bourai
सफ़र का अंत
सफ़र का अंत
डॉ. एकान्त नेगी
कर्म ही पूजा है ।
कर्म ही पूजा है ।
Diwakar Mahto
तेरी मेरी यारी
तेरी मेरी यारी
Rekha khichi
3605.💐 *पूर्णिका* 💐
3605.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"अन्तरात्मा की पथिक "मैं"
शोभा कुमारी
विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
विषय-बिन सुने सामने से गुजरता है आदमी।
Priya princess panwar
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी हैं तीर की तरह,
चुभता तो बहुत कुछ मुझको भी हैं तीर की तरह,
Shubham Pandey (S P)
कुछ देर तो ठहरो :-
कुछ देर तो ठहरो :-
PRATIK JANGID
Loading...