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23 May 2024 · 1 min read

मैं एक शिक्षक

शिक्षक था, शिक्षक हूँ, शिक्षक ही रहूँगा।
इसके सिवा जीवन में और क्या बनूँगा।

समाज की जिम्मेदारियाँ हैं मुझ पे बहुत।
इन ज़िम्मेदारियों को बस निभाता चलूँगा।

लोगों को तो उम्मीदेँ हैं मुझ से ढेर सारी।
कोशिश है उन उम्मीदों पे खरा उतरूँगा।

अपने देश का गर भविष्य बनाना है मुझे।
तो एक स्वस्थ वर्तमान की नींव रखूँगा।

राष्ट्र की सफलता है कुछ मेरी भी बदौलत।
इस लिये हमेशा राष्ट्र निर्माता कहलाऊँगा।

Language: Hindi
23 Views
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