भीड़ में वो खो गए
भीड़ में जाकर वो कंही खो गए,
जाने कैसे सुकून से वो सो गए।
हम तो जागते रहे उम्मीद में उनकी,
और वो ना जाने किसके हो गए।
भीड़ में जाकर वो कंही खो गए।
किया था वादा कभी हम दोनों ने,
दूर होकर भी पास में रहने का।
एक दूसरे का साथ देते हुए,
जिंदगी का हर दर्द सहने का।
फिर क्यों गुम हो गए भीड़ में वो,
जिसकी याद में हम इतना रो गए।
भीड़ में जाकर वो कंही खो गए।
मजबूरियां कुछ उनकी भी होंगी,
शायद हम वो समझ ना पाये।
दिल को लगता है ठीक होगा सब,
काश खुशनुमा वो दिन फिर आये।
इसी इंतज़ार में रहतें है हम तब से,
जब से इस घर से दूर वो गए।
भीड़ में जाकर वो कंही खो गए।
दूर हमसे इस कदर वो हो गए।