भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
भीगे अरमाॅ॑ भीगी पलकें
भीगा है मन बारिश में
भीगा आसमाॅ॑ भीगी धरा
भीगा है तन बारिश में —– भीगे अरमाॅ॑
घनघोर घटाएं गिर-घर आएं
हर्षित मन को खूब लुभाएं
भीगे पात पुष्प और कलियाॅ॑
भीगा गगन है बारिश में —- भीगे अरमाॅ॑
टप टप करती बूंदें करतल
पॅ॑छी गाते हैं यूॅऺ कल-कल
बहते हैं सब नदी और नाले
भीगा भवन है बारिश में —- भीगे अरमाॅ॑
चहूॅ॔ तरफ फैली हरियाली
महक रही है डाली डाली
तितली भ्रमर मचल उठे हैं
भीगा चमन है बारिश में —- भीगे अरमाॅ॑
ऐसे में मन हुआ है प्यासा
दिल में जगी है अभिलाषा
‘V9द’ पुकारे मीत अपने को
भीगा बदन है बारिश में —- भीगे अरमाॅ॑