भाव
एकाकी यदि भाव तुम्हारा, जीवन में राम नाम की नाव हो।
होगा पार जीवन समुद्र भी, चाहे अशांति हो या अभाव हो।।
करते रहो तय दूरी प्रतिदिन, यदि तुमको वनवास मिला हो।
रहे सदा मुस्कान अधर पर, कितना भी उपहास मिला हो।।
है संघर्ष भरा जीवन यदि तेरा, तो भी औरों को आशा दो।
प्रारब्ध नहीं बदलता है जगमें, तुम नवजीवन की परिभाषा दो।।