भाव हमारे निर्मल कर दो
मन मेरा भटक रहा है ,
फँसा है माया जाल में ।
पूजे मैने कई दिवाले ,
उलझा विधि विधान में ।
अब आ पहुंचा शरण तुम्हारी ,
माँ गायत्री छाव में ।
सदबुद्धि को देने वाली ,
मंत्र जाप प्रभाव में ।
श्री राम आचार्य गुरु जी ,
सिद्ध पुरुष संसार में ।
गायत्री की करी साधना ,
संकल्पी युग निर्माण में ।
जो जुडा बदलाव दिखा है ,
प्रत्यक्ष भक्ति भाव में।
भाव हमारे निर्मल कर दो ,
विचार क्रांति प्रवाह में ।
युग निर्माणी करूँ साधना ,
परिलक्षित हो संसार में ।
सप्त योजना आप बनाई ,
मानव हित उत्थान में ।
अंशदान और समयदान की,
महिमा वेद पुराण में ।
मुझे जोड़ लेना अब गुरूवर ,
गायत्री परिवार में ।
राजेश कौरव सुमित्र